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जिले के 44 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी मामले में जिला प्रशासन गौरेला पेंड्रा मरवाही की अनुशंसा पर महाप्रबंधक राज्य विपणन संघ द्वारा जिला विपणन अधिकारी को किया निलंबित

संयज ठाकुर (जीपीएम) जिले के 44 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी मामले में जिला प्रशासन गौरेला पेंड्रा मरवाही की अनुशंसा पर महाप्रबंधक राज्य विपणन संघ द्वारा जिला विपणन अधिकारी लोकेश देवांगन को निलंबित कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर फर्जी बैंक गारंटी जमा कर धान उठाव करने वाले गौरेला के अंजनी इंडस्ट्रियल एरिया स्थित गोपाल अग्रवाल के 4 राइस मिल को वर्ष 2022 – 23 के लिए ब्लैक लिस्टेड करने की कार्यवाही भी जिला प्रशासन के द्वारा कर दी गई है। प्रशासन की इस बड़ी कार्यवाही के बाद अब प्रशासन फर्जी बैंक गारंटी देकर करोड़ों रुपए का धान का उठाव करने वाले राइस मिलर पर एफ आई आर कब दर्ज करवा रहा है सभी की नजर अब इस ओर है।।।

वही मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि फर्जी बैंक गारंटी देने वाले मिलर द्वारा अब तक जो घालमेल किया जाता रहा है उससे कई संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत गो संभव है क्योकि बिना अधिकरियो और कर्मचारियों के इतने बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम देना संभव नही है। यही कारण रहा है कि राइस मिल के धंधे से जुड़े अधिकारी संबंधित राइस मिलर के मालिक से उपकृत भी होते रहे थे। ऐसे में संभावना वजतलाई जा रही है की यही उपकृत अधिकारी अपने इस राइस मिल मालिक संकट से निकालने के लिए कोई ऐसा रास्ता निकाल रहे हो जिससे यह राइस मिलर पुन: इस धंधे में प्रतिष्ठित हो सके।

राइस मिलर धंधे से जुड़े सूत्रों की माने तो शासन को चूना लगाने के इस काली करतूत में शामिल अनेक अधिकारी फर्जीवाडा करने वाले राइस मिलर को सुरक्षित रूप से निकालने का मार्ग ढूंढने में लगे हुए हैं। इस फर्जीवाड़ा के संबंध में पूर्व प्रकाशित समाचारों में बताया जा चुका है कि राइस मिलर द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़ा में इलाके के राशन दुकानों एवं उनके संचालकों की भी भरपूर मिलीभगत है जिसमें फूड विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम के तथा विपणन विभाग के अधिकारी कर्मचारी शामिल है। बताना लाजमी होगा की पूर्व में अनेक राशन दुकानों से उपभोक्ताओं को जो चावल प्राप्त हुए उसमें कनकी और पुराना चावल मिले होने की शिकायत मिलती रही है।मिलीभगत का यह खेल है जिससे आम आदमी को पता ही नहीं है कि राशन दुकानों का बचत माल नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में ही रखा रह जाता है और सिर्फ पावती लेने देने का खेल करके फर्जीवाड़े को अंजाम दे दिया जाता है। ट्रांसपोर्टर राशन दुकान वाले से पावती लेता है और नागरिक आपूर्ति निगम में जमा कर देता है और मिलर बिना धान की मीलिंग के ही चावल जमा करने की पावती प्राप्त कर लेता है। मतलब मिलर ने जिस धान को कस्टम मिलिंग के लिए उठाओ किया था उसे वह तत्काल खुले बाजार में बेच देता है तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन के चावल की पावती के द्वारा ही कस्टम मिलिंग किया जाना सो कर देता है। इस तरह तीन विभागों की मिलीभगत से लंबे समय से चल रहे फर्जीवाड़े का ही परिणाम है कि 44 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी जमा करने वाला राइस मिलर एक के बाद एक करके लगभग दर्जन भर मिल और खाद्य उपभोक्ता से जुड़ी सामग्रियों की फैक्ट्री एक के ऊपर एक लगाता चला जा रहा है। मामले की जांच प्रशासन को कराना चाहिए। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में जमा चावल की केमिकल टेस्टिंग करा कर हमारे दावे की जांच कर सकता है। राइस मिल के धंधे से जुड़े जानकार सूत्र बताते हैं कि जिस राइस मिलर द्वारा फर्जी बैंक गारंटी देकर धान का उठाव किया जा रहा है यदि उसके मिलो में साल दर साल बिजली की खपत तथा प्राप्त बिल एवं की गई कस्टम मिलिंग कब मिलान किया जाए तो वास्तविकता सामने होगी।

वही 44 करोड़ की फर्जीवाड़ा बैंक गारंटी मामले के खुलासे होने के बाद यहां पर एक प्रश्न अभी भी खड़ा है वह यह है कि जिस तरह का फर्जीवाड़ा बैंक गारंटी मामले में वह सजा 2021-22 एवं वर्ष 2022 23 के लिए किया गया है यह तो चालू वर्ष की शिकायत है जबकि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला के गठन को सिर्फ 2 साल हुए हैं 2 साल पूर्व तक फूड विभाग खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग निगम तथा विपणन विभाग के कर्मचारी बिलासपुर में बैठते थे ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फर्जी बैंक गारंटी देने का यह सिलसिला बीते कई वर्षों से चल रहा था! यहां बताना जरूरी है कि जिस राइस मिलर द्वारा 44 करोड़ की फर्जी कारे बैंक गारंटी देकर धान का उठाव किया गया है वह बहुत पुराना उद्योगपति नहीं है औद्योगिक क्षेत्र में उसकी बाढ़ देखते-देखते हुई है तथा एक सामान्य व्यवसायी से वह गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में एक स्थापित समाजसेवी के रूप में जाना पहचाना जाने लगा है।

फिर चाहे धार्मिक समारोह हो, शैक्षिक संस्थानों का वार्षिक उत्सव हो या खेल के मैदान में क्रिकेट फुटबॉल कबड्डी के आयोजन एवं पुरस्कार वितरण में मुख्य अतिथि का ओहदा हो। उसके बगैर कोई कार्यक्रम ही नहीं होता जबकि पिछले कुछ कैलेंडर वर्ष पीछे ही देखने पर पता लगता है अचानक कुछ ही वर्षों में उसकी ऐसी तरक्की उसके इसी तरह के फर्जीवाड़े का ही परिणाम है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 44 करोड़ का फर्जी बैंक गारंटी प्रस्तुत करने मामले में जिस तरह जिला प्रशासन गौरेला पेंड्रा मरवाही ने तत्परता से कार्यवाही की है वही फर्जीवाड़े के इस घटनाक्रम को अंजाम देने वाले का अंतिम मुकाम जेल की सलाखों के पीछे ही होगा? इस मामले में गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी द्वारा की गई कार्यवाही की गई वो सराहनीय है।।।सभी को इंतजार है कि मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो।।।

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