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बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कमर टूटती हुई तस्वीर,3 सालों से निजी मकान के परछी में चल रहा क्लास…

शैलेश गुप्ता (जिला कोरिया) शिक्षा व्यवस्था सुदृण की ताल ढिंढोरे की तरह पिटी जाती रही है। तमाम दावे किए जाते रहे है। पर आँख तो तब फटी की फटी रह गई जब हमारी टीम कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से लगभग 8 से 9 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत कसरा के आश्रित ग्राम खुटरापारा के प्राथमिक शाला स्कूल में पहुची जहाँ शिक्षा व्यवस्था की कमर टूटती दिखाई दी। 1ली कक्षा से लेकर 5वी तक कि क्लास निजी घर के परछी में चल रही थी। बच्चे किसी सरकारी स्कूल परिसर के नही निजी घर के आंगन में खेल रहे थे जहाँ मवेशियों को बांधा गया था। जहाँ बैठ कर छात्राएं पढ़ाई करते है। उसी स्थान पर मध्यान भोजन भी करते है। पदस्थ शिक्षक व अध्यनरत छात्रों की मजबूरी है। क्योंकि शिक्षा विभाग के उच्य अधिकारी देख रहे जान भी रहे है फिर भी लाचारी के घड़ियाली आंसू बहा रहे है । इंतजार है शासन प्रशासन से स्कूल भवन की शासकीय स्वीकृति की जिसके इंतजार में कोरोना काल से लेकर अब तक इंतजार ही है। कब अध्यनरत छात्रों को अपना शासकीय स्कूल का भवन मिलेगा कहना मुश्किल है क्योंकि जिम्मेदार सुस्त रवैया अपनाए हुए है।

स्कूल भवन जर्जर

स्थानीय लोगो ने बताया कि लगभग सन 1990 में बना शासकीय स्कूल भवन बेहद जर्जर हो गया है। वहाँ पर बच्चों का स्कूल लगना बच्चों के लिए घातक है। दीवारों पर बड़े बड़े दरार है। जिसमे जहरीले कीड़े,साप का खौप है। दीवारे गिरने की आशंका है। ऐसे में बच्चों को उस स्कूल भवन में पढ़ाई के लिए भेजना दुर्घटना को निमंत्रण देना होगा ।

शासन प्रशासन से लेकर विधायक तक मांग

स्थानीय लोगो व पदस्थ शिक्षक का कहना है कि उन्होंने कई बार विधायक व प्रशासन से नए स्कूल भवन की मांग की गुहार लगा चुके है। पर अभी तक कोई सुनवाई नही हुई है । बच्चों को निजी स्कूल के परछी में बैठ कर पढ़ना मजबूरी सा हो गया है। सुनने वाला कोई नही है। जो एक प्रकार से गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर गैरजिम्मेदाराना तरीके से मजाक बनाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो निजी भवन मालिक की रहमो करम पर बच्चों की स्कूल लगने व शिक्षा प्राप्ति के लिए बैठने की व्यवस्था है। मकान मालिक की दरियादिली देखिए कि भवन का किराया भी नही लिया जा रहा है। ऐसे में सरकारी सिस्टम टिका है। जब काम फ्री में चल रहा हो तो रुपए बहा कर क्यो नया भवन तैयार किया जाए। जो बच्चों के भविष्य के साँथ खुली आँखों से खेलवाड़ है।

आड़े हाँथ

भाजपा के पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र तिवारी ने मामले पर कहा कि कांग्रेस के वर्तमान सरकार के संसदीय सचिव व अन्य विकास की गंगा बहा रहे है। पर जमीनी हकीकत कोसो दूर है आये दिन भूमि पूजन होता है तो दूसरी तरफ गांव के गरीब बच्चों के लिए स्कूल भवन ही नही बना पा रहे है बड़ी विड़बना की बात है कि विधायक के गृह क्षेत्र व प्रशासनिक मुख्यालय के बगल का ही ये हाल है तो आप अंदाजा लगा सकते है कि दूरस्थ वनांचल क्षेत्रो की शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा।

अधिकारी कुछ अनजान तो कुछ बोले भवन स्वीकृत हुआ है

इस मामले को लेकर जब हमारी टीम जवाब देहि अधिकारियों के कार्यालय पहुची तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में मौजूद नही थे। जब हमने मामले पर सहायक संचालक स्कूली शिक्षा विभाग अधिकारी से मौखिक रूप से मामले को बयां किया तो उन्होंने साफ साफ मामले से अपने को अनभिज्ञ बताया और आपके सवालों का जवाब जिला शिक्षा अधिकारी दे पाएंगे कहते हुए चलते बनी। जब हमारी टीम विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पहुची तो वो भी बीआरसी कार्यालय में नही थे दूरभाष से संपर्क करने पर बताया गया कि नए स्कूल भवन की स्वीकृति हो गई है। जल्द ही बनेगा पर जुबान की लड़खड़ाहट तो कुछ और ही बया करती सुनाई दी जब हमने पूछा कि आप कब से पदस्थ है तब उन्होंने कहा 1 साल हो गए अब सोचने वाली बात है कि एक साल सेवा देते हो गया और अब दूसरे साल में भवन स्वीकृति की बात बताई जा रही तो आप समझ सकते है कि बच्चों के भविष्य को लेकर सरकारी महकमा कितना सजग है।

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