
ठा. प्रेम सोमवंशी (कोटा) आजादी के 75 वें जयंती वर्ष पर शासकीय निरंजन केशरवानी कॉलेज कोटा के इतिहास विभाग और राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में महात्मा गांधी के जीवन-दर्शन की प्रासंगिकता विषय पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गांधीवादी विचारक एवं वरिष्ठ समाजसेवी आनंद मिश्रा ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव, कुपोषण, संप्रदायिकता, गरीबी, अशिक्षा के साथ ही भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने का संकल्प लिया।

महात्मा गांधी ने भारत में सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किसानों के आंदोलन में किया था. नील की खेती के अभिशाप से मुक्ति से प्रेरित होकर गांधी ने असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, सविनय अवज्ञा एवं भारत छोड़ो जैसे विभिन्न आंदोलनों का संचालन किया. आज महात्मा गांधी का जीवन दर्शन ही युवाओं को भटकने से रोक सकता है. विशिष्ट अतिथि जैविक कृषक एवं समाजसेवी अजय सिंह ठाकुर ने बताया कि आज हम आजाद हो चुके हैं पर हमें औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलना होगा।

उन्होंने अनियंत्रित उपभोक्तावाद और शहरी आकांक्षाओं की संस्कृति का विरोध करते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विद्यार्थियों से स्वदेशी अपनाने और स्वयं गांधी बनने की अपील की. कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य एवं इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ए. के. पाण्डेय ने बताया कि गांधी ने सार्वजनिक जीवन में सत्य, ईमानदारी एवं नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की. उनकी कथनी एवं करनी में कोई अंतर नहीं था. स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में उनका योगदान सराहनीय है. कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर प्रेरणास्पद विचार व्यक्त किए. उन्होंने गांधी के विचारों व व्यक्तित्व को विश्व स्तर पर प्रासंगिक एवं अनुकरणीय बताया. कार्यक्रम का संचालन राजनीतिशास्त्र विभाग के डॉ. जे. के. द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।