
शेखर बैसवाड़े (नेवसा) बिल्हा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत के प्राथमिक शालाओं में शिक्षक की कमी ने बिगाड़ा प्राथमिक शिक्षा का गणित एक व दो शिक्षक के भरोसे पांच कक्षाएं बच्चे परेशान कैसे होगा कोर्स पूरा है। प्राथमिक शाला उसराभाठा स्कूल में वर्तमान में दो शिक्षक के भरोसे पांच कक्षाएं संचालित हो रहे थे। वही एक शिक्षक अभी एक माह के लिए मेडिकल में है। वही फिर हाल प्रधान पाठक व सफाई कर्मचारी के भरोसे स्कूल संचालित हो रहा है। व प्रधान पाठक को शासन प्रशासन द्वारा बीएलओ, प्रशिक्षण, संकुल बैठक पाठकान ,बालकान, मध्यान भोजन, जैसे अन्य छोटे छोटे कार्यों के लिए ड्यूटी लगा दिया जाता है। जिससे प्राथमिक शाला के पांच कक्षाएं को पढ़ाने में काफी मुश्किल व दिक्कत आ रही है।एक शिक्षक पांच कक्षाएं के बच्चों की भविष्य को देखे की शासन प्रशासन एक शिक्षक के भरोसे सारे जिम्मेदारी सौप दिया गया है। शासन प्रशासन को पांच कक्षाएं बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम दो शिक्षक की व्यवस्था तत्काल करना चाहिए। जिसमें छोटे छोटे नन्हे मुन्ने बच्चों की भविष्य बन सके। प्राथमिक शाला सलखा भाटापारा स्कूल पर इस साल एक ही शिक्षक होने की वजह से पढ़ाई ठप है। इसके कारण बच्चों में अनुशासन भी नहीं रह गया है। एक शिक्षक पांच कक्षाओं को पढ़ाने के साथ ही साथ प्रधान पाठक का काम भी देख रहे हैं। साथ ही उन्हें समय-समय पर मिटिंग के लिए बाहर भी जाना होता है। शासन के नियम के अनुसार कम से कम पांच शिक्षक होने चाहिए: प्राइमरी स्कूल के पांच कक्षाओं के लिए कम से कम पांच शिक्षक तो होने चाहिए। ऐसा होने पर जहां वर्तमान में यहां के बच्चों की दर्ज संख्या लगभग 57 है। वह बढ़ जाएगी। ऐसा होने पर ग्रामीण जो कि अपने बच्चों को पढ़ने अन्य गांव भेजते हैं या संपन्न परिवार के लोग शहर भेजते हैं वे भी यहीं पढ़ाना चाहेंगे। शिक्षक की कमी को लेकर ग्रामीण व शिक्षक के द्वारा उच्च अधिकारियों अवगत कराया गया था।

प्राथमिक शाला 5 कक्षाएं में 57 विद्यार्थी पर 1 शिक्षक व मिडिल स्कूल में 3 कक्षाएं में 90 छात्राए में 7 शिक्षक की भरमार
ग्राम पंचायत नेवसा के प्राथमिक शाला उसराभाठा स्कूल में 57 विद्यार्थी है।पूर्व माध्यमिक विद्यालय नेवसा में लगभग 90, विद्यार्थी कक्षा 6वी से 8वीं कक्षा लगातें है। जिसमें शिक्षक की भरमान लगें हुए हैं। मानक तार-तार नजर आते हैं। कहीं बच्चे अधिक तो कहीं शिक्षक कम हैं। कई विद्यालयों में बच्चे कम और शिक्षक अधिक हैं। ग्राम पंचायत नेवसा, ग्राम पंचायत सलखा के प्राइमरी स्कूलों में जहां शिक्षकों का टोटा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में मानक से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। एक व दो शिक्षक को पांच- पांच कक्षाएं की जिम्मेदारी दी गई है। उस क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। इससे शिक्षा विभाग के अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं। प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई कैसे होता होगा छत्तीसगढ़ शासन शिक्षा विभाग को प्रमोशन या नया भर्ती करना चाहिए जिससे बच्चों की भविष्य अंधकार से उज्जवल भविष्य की ओर हो। जहां पर एक व दो शिक्षक एक से पांच तक की कक्षाओं के बच्चों को पढ़ा रहे है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर वह अकेला शिक्षक उन बच्चों के साथ कितना न्याय कर पाता होगा। सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्र नेवसा, प्राथमिक शाला उसराभाठा व प्राथमिक शाला सलखा भाटापारा, के प्राइमरी स्कूलों की है। अभी सभी स्कूलों में प्रवेश उत्सव का समय चल रहा है प्राथमिक शाला उसराभांठा स्कूल में शिक्षक की कमी की वजह से बच्चे प्राइवेट स्कूलों को अपना रहे हैं।

बिल्हा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नेवसा में एक ही गांव में प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल होने से मिडिल स्कूल में शिक्षकों की भरमार है। जहां तीन कक्षाएं में सात शिक्षक उपलब्ध है। जानकारी मिली है कि गणित विषय का दो शिक्षक है। उसमें से व्यवस्था के तहत प्राइमरी स्कूल मे दो शिक्षक को बच्चों के भविष्य को देखते हुए व्यवस्था शासन प्रशासन को तत्काल करना चाहिए। अगर शिक्षक की व्यवस्था तत्काल नहीं हुई तो विद्यारर्थी सहित पालक गण उग्र आंदोलन करने के लिए विवश हो जाएंगे।
शाला विकास समिति के अध्यक्ष सीताराम कश्यप प्राथमिक शाला उसराभाठा
प्रधान पाठक को बीएलओ संकुल व अन्य कार्यों के लिए लगाया जाता है ड्यूटी, सफाई कर्मचारी के भरोसे चल रहे हैं स्कूल,
बिल्हा ब्लॉक के प्राथमिक शाला उसराभाठा भाठा स्कूल में 57 विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में हैं। वर्तमान में दो अध्यापक कार्यरत थे।जिसमें विगत दिनों एक अध्यापक का एक माह के लिए मेडिकल लिया हुआ है। वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय में एकमात्र शिक्षा के भरोसे चल रहा है। वही एकमात्र शिक्षक के भरोसे शान द्वारा बीएलओ हो या संकुल का आवश्यक काम जैसे छोटे-छोटे अन्य कार्यों के लिए ड्यूटी लगाया जाता है जिससे सफाई कर्मचारी के भरोसे स्कूल खुलते हैं । नहीं तो बंद करने की नौबत आ जाती है। 14 वर्षौ से स्कूल सफाई कर्मचारी को अंशकालीन के नाम पर कार्य लिया जा रहा है। सफाई कर्मचारी को चतुर्थ श्रेणी में चपरासी के पद पर समायोजित किया जाए कम से कम स्कूल के सफाई के साथ शिक्षक के भांति विद्यार्थी को पढ़ाने का काम भी करते हैं व करेंगे प्राथमिक शाला में शिक्षक की कमी है इस ओर शासन प्रशासन को बच्चों के भविष्य को देखते हुए शिक्षक की व्यवस्था करना चाहिए।