सुर्खियां

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा में संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित

कोटा – छत्तीसगढ़ के सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल क्रियान्वयन हेतु शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा में एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें सी.एस.आर. महाविद्यालय पीपरतराई और सरदार भगत सिंह महाविद्यालय बेलगहना के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रो. ए. के पाण्डेय ने बताया कि पुरानी औपनिवेशिक शिक्षा प्रणाली के स्थान पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों को केन्द्र में रखकर बनाई गई है. भारतीय ज्ञान परम्परा के समावेश के साथ इसमें बहु विषयक शिक्षा, वैचारिक समझ, आलोचनात्मक सोच, नैतिक मूल्यों के विकास के साथ ही कौशल विकास को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर डॉ. वेणु आचारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए सेमेस्टर पद्धति के कारण आए बदलाव को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि यदि कोई विद्यार्थी किसी कारणवश पढ़ाई बीच में ही छोड़ देता है तब भी उन्हें एक वर्ष पूर्ण करने पर मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र, दो वर्ष में डिप्लोमा, तीन वर्ष में स्नातक उपाधि सहित चौथे वर्ष में ऑनर्स या ऑनर्स वीथ रिसर्च की उपाधि प्रदान करने के प्रावधान किए गए हैं. चॉइस बेस क्रेडिट पर आधारित स्नातक पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को अपने संकाय के अलावा दूसरे संकाय के विषयों को पढ़ने की आजादी मिलेगी. साथ ही कौशल विकास के लिए वैल्यू एडेड कोर्स करना भी अनिवार्य है. अब विद्यार्थियों को 70% अंक विश्वविद्यालय सेमेस्टर परीक्षा के माध्यम से और 30% अंक सतत आंतरिक मूल्यांकन के माध्यम से प्राप्त होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन समिति के संयोजक डॉ. जे. के. द्विवेदी ने बताया कि इस नीति में सतत मूल्यांकन का प्रावधान है जिससे विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होगी. और उन्हें परीक्षा का तनाव नहीं होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन समिति के सदस्य शितेष जैन ने बताया कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का भाव लिए यह नीति, मूल्य परक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, विषय संबंधी ज्ञान के साथ रोजगार पर बल देती है. पूरे प्रदेश में समरूप शिक्षा होने से वनांचल एवं दुरुस्त क्षेत्र के विद्यार्थियों का शिक्षा की मुख्य धारा जुड़ना आसान होगा. इस संवेदीकरण कार्यशाला में चिन्हांकित महाविद्यालयों के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

Back to top button
error: Content is protected !!