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4 वर्ष पहले स्कूलों के सफाई कर्मियों से कोविड-19 में क्वारेंटाइन सेंटर में कराया काम, नहीं दिया मानदेय

शेखर बैसवाड़े (नेवसा) बिल्हा ब्लॉक का मामला जिले में प्रवासी मजदूरों के वापसी के दौरान शासकीय स्कूलों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया। जहां काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई तथा इन सफाई कर्मचारियों से लगभग 44 से 45 दिन काम लिया गया था । लेकिन उन्हें अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। सफाई कर्मचारी काम बंद होने से अभी तक बेरोजगार है। जिससे परिवार के भरण-पोषण में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिल्हा ब्लॉक में लगभग 600 सौ सफाई कर्मचारी शासकीय स्कूलों में काम कर रहे हैं। जिनका मानदेय दो से तीन हजार विभाग द्वारा रखा गया है। सफाई कर्मचारियों ने बताया कि मानदेय नहीं मिलने से उन्हें कोरोना काल में अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को उन्होंने पूर्व में बिल्हा बीईओ को अवगत व पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारी को भी अवगत कराया गया था । लेकिन अभी तक मानदेय नहीं मिल पाया है। जिससे आर्थिक संकट सफाई कर्मचारियों में आया हुआ है। बीईओ को भी अवगत कराया गया था। लगभग 5 से 6 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक उनको किसी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ है। स्कूल सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष खांडेकर ने बताया कि जबकि बिलासपुर जिला एक है । लेकिन अन्य ब्लॉक में कर्मचारियों का वेतन मिल चुका है लेकिन ऐसा क्या कारण है जो की बिल्हा ब्लॉक में कर्मचारियों का पेमेंट अभी तक कोविड-19 का जारी नहीं किया गया कर्मचारी संगठन काफी आक्रोश है। कर्मचारी द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कई ग्राम पंचायत ऐसे है जो सरकारी कर्मचारी होने का हवाला देकर मारेगा में काम नहीं दिया जाता है । उनका कहना है कि कुछ महीने अगर उनको मनरेगा में काम मिले तो उनकी थोड़ी बहुत आजीविका चल जाती। मीडिया प्रभारी शेखर बैशवाडे ने बताया कि बिल्हा ब्लॉक के प्राथमिक शाला  एवं पूर्व माध्यमिक शाला से लेकर हाई स्कूल में क्वारेंटाइन सेंटर में काम किए हैं जिसका पैसा अभी हम को नहीं मिला है।

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