
पेंड्रा –
मां जगत जननी मां भगवती की 9 दिन की आराधना के पश्चात विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रों से यज्ञ हवन दुर्गा मंदिर में संपन्न हुआ जिसमें दुर्गा सप्तशती के समस्त मंत्रों से एवं श्री सूक्त पुरुष सूक्त से हवन किया गया एवं चतुरशष्ट योगिनी शोडश मात्रिका क्षेत्रपाल आदि देवताओ का आवाहन कर उन्हें आहुति दी गई और राष्ट्र समृद्धि की कामना की गई । आचार्य सुदर्शनाचार्य ने बताया कि यज्ञ श्रेष्ठ कर्म है यज्ञ से शुभ दृष्टि होती है वर्षा से अन्नहोता है अन्य से प्राण की रक्षा होती है क्योंकि कलयुग में अन्नगत प्राण कहा गया है प्रकृति पर्यावरण को शुद्ध करने का सर्वश्रेष्ठ साधन यज्ञ बताया गया इसलिए हमारे ऋषि मुनि पूर्व काल में नित्य प्रति यज्ञ किया करते थे वही आजभव्य कन्या भोजन का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीण अंचल की दूर-दूर सैकड़ों की संख्या में कन्याएं पधारी। श्री स्वामी सुदर्शनाचार्य जी ने सभी कन्याओं का चरण धोकर पूजन कर कन्या भोजन संपन्न किया । कन्या भोजन में कन्याएं माता के स्वरूप में नौ रूपों में प्रस्तुत हुई।


