
शेखर बैसवाड़े (नेवसा) शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में इन दिनों मूर्तिकार दुर्गा की मूर्तियों को आकार देने में जुटे हैं। इस साल बेलतरा व रतनपुर की मूर्तियां अधिकांश पंडालों की शोभा बढ़ाएंगी। नवरात्रि में अब शेष 4 दिन का समय बचा है। दुर्गा प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकारों ने मूर्ति सजाना शुरू कर दिया है। मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार राम लक्ष्मण व गोकुल चित्रकार अपने साथी के साथ मूर्तियां बनाने में जुट गए हैं।

उन्होंने बताया कि इस साल सांचा वाली करीब लगभग 150 मूर्तियों के अलावा मध्यम आकार की 40 और लगभग 50 बड़ी मूर्तियां बना रहे हैं मूर्तिकारों ने बताया कि पहले श्रद्धालु साइज के हिसाब से ही मूर्तियां खरीदते थे,पर अब सुंदरता, कलर मैचिंग, कपड़े व सजावट को भी पैमाना मानते हैं। दुर्गा उत्सव में अभी समय होने के बावजूद समितियां मूर्तिकारों को ऑर्डर देना शुरू कर चुकी हैं, जिससे उन्हें समय पर मनचाही मूर्तियां मिल सके पिछले कई वर्षों से मूर्ति निर्माण करने का कार्य कर रहे हैं। उनके द्वारा सिर्फ मिट्टी की ही मूर्ति तैयार किया जाता है। राम लक्ष्मण व गोकुल चित्रकार का कहना है कि कुछ मूर्तिकारों के द्वारा मूर्ति जल्दी तैयार करने के लिए पीओपी का भी इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटते हैं। लेकिन उनके द्वारा कभी भी पीओपी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

उन्होंने बताया कि उनके द्वारा मूर्तियों को रंगने के लिए भी प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करते हैं जिसके कारण उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां पानी में आसानी से घुल जाती है और पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है मूर्तिकार राम लक्ष्मण व गोकुल चित्रकार ने बताया कि इस वर्ष निर्माण सामग्रियों की दरों में वृद्धि हुई है। जिससे उन्हें मूर्तियों के दाम में 25 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि करनी पड़ेगी। पिछले वर्ष मिट्टी 500 रुपए ट्रैक्टर मिलती थी। जो इस साल 550 हो चुकी है। पैरा 700 रुपए से बढ़कर 850 रुपए बांस 90 रुपए से बढ़कर 125 रुपए प्रति नग एवं लकड़ी बत्ता की कीमत 300 रुपए से बढ़कर 400 रुपए क्विंटल हो गई है। सुतली भी अब 50 की जगह 75 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदना पड़ रहा है। निर्माण सामग्री में मूल्य वृद्धि का असर मूर्तियों के दाम पर भारी पड़ रहा है मूर्तियों की कीमत में 25 से 30प्रतिशत तक की वृद्धि होगी ।