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अवैध खुदाई के दौरान कलचुरी काल की मूर्ति मिलने के बाद जांच करने पहुंचे पुरातत्व विभाग के अधिकारी..

मनमोहन सिंह राजपूत @खैरा …. खुदाई के दौरान कलचुरी शासन काल की मूर्ति मिलने की सूचना के बाद पुरातत्व विभाग रायपुर द्वारा मौके पर पहुंचकर प्राचीन धरोहर को सुरक्षित करने जांच की गई ।जहां विशेषज्ञों ने मूर्तियों की बनावट और रूपरेखा के अनुसार विशेषज्ञों ने इसे 13-14 वी शताब्दी कलचुरी काल मे निर्माण किया गया शिव मंदिर बताया।


13-14 वी शताब्दी मे नन्दी क्वार्टजाइट पत्थर और शेष बलुआ पत्थर से निर्माण की गई मंदिर की अवधेश अवशेष मिलने के पूर्व नीम वृक्ष के नीचे स्थापत्य खंड द्वार स्तंभ और आमलक के खंडित अवश्य पूर्व से विद्यमान थे। जो ग्रामीणों की आस्था का केंद्र रहा। जिससे ग्रामीण सिद्ध बाबा के नाम से परंपरागत पूजित करते रहे। उसके उत्तर में जेसीबी से खुदाई के दौरान योनि पीठ,नंदी एवं अलंकृत स्थापत्य खंड प्रकाश में आया।मंदिर शेष अनुसार 35×22×6 सेमी पूर्व ईट का आकार मिला।

इस मंदिर से शैव आचार्य, नंदी और योनि पीठ के अवशेषों से यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल में शिव मंदिर विद्यमान रहा। मूर्तियों की बनावट और रूपरेखा अनुसार विशेषज्ञों ने इसे 13-14 वी शताब्दी कलचुरी काल निर्धारित किया है। इस दौरान पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के संचालक श्री विवेक आचार्य और उप संचालक डॉ पी. सी. पारख के निर्देश पर टीम पोंडी स्थल निरीक्षण करने पुरातत्व विभाग के टीम के सदस्य डी एस ध्रुव संग्रहाध्यक्ष, जिला पुरातत्त्व संघ, बिलासपुर प्रभात कुमार सिंह पुरातत्त्ववेत्ता, मुख्यालय रायपुर, प्रवीण तिर्की, उत्खनन सहायक, रायपुर,डॉ. राजीव मिंज, रायपुर, कमलेश देवांगन
बिलासपुर उपस्थित रहे मौजूद रहे।

प्राचीन तालाब का राजस्व विभाग में उल्लेख ही नहीं — घी कुड़िया मंदिर के दक्षिण में प्राचीन तालाब है। जो मंदिर निर्माण के पहले से बनाया गया होगा। जिसका राजस्व विभाग के नक्शे में उल्लेख नहीं होना राजस्व विभाग की कार्य शैली पर प्रश्नचिन्ह है। आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कब और कैसे हुई।



पानी और तेल अर्पण करने पर लगाई गई रोक — पुरातात्विक महत्त्व की वस्तुओं को मौलिक सौंदर्य बनाए रखने किसी भी प्रकार के बाहरी वस्तुओं का लेप नहीं करना चाहिए।बलवा पत्थर से मूर्ति निर्मित होने के कारण चावल,पानी,तेल, चंदन,बंदन लगाने से मूर्तियों में क्षरण होता है और मूर्तियां कुरूप हो जाती है। इसलिए पूजा पाठ के दौरान इन चीजों से बचना होगा। सुखी वस्तुएं जैसे अक्षत,पुष्प से पूजा करना होगा।


ततहसील में की गई शिकायत,कार्यवाही की मांग— शिक्षक दुष्यंत पाठक द्वारा विरासत धरोहर को संरक्षित करने की बजाय लापरवाही पूर्वक अवैध खुदाई करते हुए मंदिर के अवशेषों को खंडित किया गया।जिससे मंदिर के अवशेष छतिग्रस्त हो गये है।इस कार्य से नाराज पुरातत्व विभाग द्वारा धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के साथ प्राचीन काल की मूर्तियों को खंडित करने के विरुद्ध कार्यवाही करने मांग किया गया।

भानु चंद्राकर पटवारी ह.नं.03– मौके पर निजी भूमि 54 डिसमिल जमीन दुष्यंत पाठक के नाम पर है। जो तालाब बना है वही एरिया उनका आ रहा हैं। जो पुराना मंच बना है सिद्ध बाबा का उसमें 3 मीटर अंदर आ रहा हैं। और जो अतिरिक्त खुदाई किए हैं वह सरकारी जमीन है, छोटे झाड़ के जंगल भूमि के नाम पर दर्ज है। अतिक्रमण के विरुद्ध रिपोर्ट बनाकर तहसीलदार दिया जाएगा।उसके आधार पर तुरंत कार्रवाई होगी।

ब्लॉक कांग्रेस कमेटी रतनपुर (ग्रामीण जोन) के अध्यक्ष यासीन खान ने कहा कि हम सभी के लिए गौरव का क्षण है की पोड़ी में पुरातात्विक स्थापत्य के अवशेष मिले है । इस स्थान की अन्वेषण एवं खुदाई से अवश्य ही हमारे इतिहास के कुछ और नए तथ्य सामने आयेंगे । उन्होंने इस स्थल और प्राप्त अवशेषों के संरक्षण के लिए गांव में ही संग्रहालय बनाना चाहिये।

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