
राहुल यादव (लोरमी).…. राजीव गांधी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय लोरमी में राष्ट्रीय जनजाति आयोग ,नई दिल्ली तथा अटलबिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के निर्देशानुसार महाविद्यालय एवं राष्ट्रीय जनजाति आयोग के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस संदर्भ में महाविद्यालय के प्रो नरेंद्र सलूजा ने बताया कि इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो चंद्रशेखर सिंह शासकीय महाविद्यालय घरघोड़ा रायग्रह तथा अति विशिष्ट अतिथि श्री नितेश साहू राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के कार्यक्रम समन्वयक,अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर ,श्री डी.पी.साहू वनवासी विकास समिति, जिला युवा कार्य प्रमुख तथा अध्यक्ष प्राचार्य डॉ एन के ध्रुवे की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम का आयोजन हेतु राष्ट्रीय जनजाति आयोग के आदेशानुसार समिति भी गठित की गई थी जिसमे कार्यक्रम समन्वयक प्रो एच एस राज,सहायक समन्वयक प्रो नरेंद्र सलुजा,प्रो आर एस साहू कार्यक्रम अधिकारी रासेयो,प्रो निधि सिंह कार्यक्रम अधिकारी रासेयो,प्रो हेमा टण्डन सहायक प्राध्यापक रसायन,प्रो अमित निषाद अतिथि व्यक्ज्ञता हिन्दी शामिल हैं। कार्यक्रम के आरंभ में दीप प्रज्वलित कर सामूहिक रूप से राष्ट्रगान किया गया तत्पश्चात ज्ञानेश्वरी जायसवाल के द्वारा राज्यगीत , हुमन गिरी के द्वारा सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत एवं नृत्य छात्र रानी और पायल ने प्रस्तुत किया । उद्बोधन की कड़ी में प्रो एच एस राज ने संगोष्ठी प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि-स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का महत्पूर्ण योगदान रहा है। जरूरत जनजाति नायकों के इतिहास को पढ़ाने की है।
डॉ एन के ध्रुवे ने स्वागत भाषण में कहा कि-मुगलों के आक्रमणकाल के समय आदिवासियों ने क्षेत्रीय एवं स्थानीय राजाओं जैसे वीर शिवाजी, राणा प्रताप एवं अन्य वीरों को मुगलों के खिलाफ युद्ध में सहयोग किया। श्री नितेश साहू ने कहा कि जनजाति समाज ने कभी भी अंग्रेजों की दासता को स्वीकार नहीं किया और समय समय पर सशस्त्र विद्रोह और संघर्ष किया। चाहे तिलका मांझी के नेतृत्व में पहाड़ियां आंदोलन हो,कोया जनजाति का विद्रोह हो,कोल जनजाति द्वारा सशस्त्र संघर्ष हो भगवान बिरसा मुंडा के नेतृत्व में संघर्ष हो, सिद्धु-कान्हू के नेतृत्व में संथाल आंदोलन हो, भीलों के विभिन्न आंदोलन हो, मानगढ़ का बलिदान हो,रानी गाइदिनल्यू के नेतृत्व में नागा आंदोलन हो ।अंग्रेजों के विरुद्ध जनजाति समाज के संघर्ष और बलिदान की एक समृद्ध परंपरा रही है।
हजारों नाम तो ऐसे हैं जिनका बलिदान इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हो पाया । राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत जनजाति समाज द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदान की गाथा को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए युवा कार्य आयाम,आज राजीव गांधी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय लोरमी पहुंच रहा है.। मुख्य अतिथि डॉ चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि -देश के विभिन्न क्षेत्रों के जनजाति समाज के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों – वीर चक्र बिशोई, वीर भगत, रामजी गोंड, जोगिया परमेश्वर, तिरत सिंह, फूकन संगमा, गुंडाधूर, वीर नारायण सिंह, सुरेन्द्र साय, बिरसा मुंडा जैसे अनेक महापुरूषों के जीवन एवं उनके द्वारा देश की आजादी के लिए दिये गये बलिदान के बारे में बताया। उन्होंने बताया अंग्रेजों एवं मुगलों के प्रति जो विद्रोह था वह पूरे भारत वर्ष – पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटका, आन्ध्रप्रदेश, उडिशा, बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय, अरूणांचल प्रदेश, सिक्कीम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड़ एवं अन्य क्षेत्रों के जनजातीय समुदाय के लोगों द्वारा किया गया था। इसके अलावा प्रो एस के जांगड़े,प्रो आर एस साहू,प्रो निधि सिंह सिंहप्रो अर्चना अर्चना भास्कर,प्रो विवेक साहू,प्रो नितेश गढेवाल,प्रो महेन्द्र पात्रे प्रो हेमा टण्डन, ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।कार्यक्रम का संचालन प्रो अमित निषाद ने किया।।उद्बोधन के पश्चात छात्र छात्राओं के द्वारा
अनेकता में एकता को संजोये हुए भारतीय गुलदस्ते का प्रतीक आदिवासी नृत्य करमा, नवरानी ,बिहु आदि को प्रस्तुत किया गया जिसमें भिन्न-भिन्न रंगों के नृत्य रूपी फूलों एवं पत्तियों को इस तरह प्रस्तुत किया कि उनकी शोभा द्विगुणित हो गईं। कार्यशाला के अंत मे प्राचार्य द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो अमित निषाद ने तथा आभार प्रदर्शन प्रो नरेंद्र सलुजा ने किया। इस कार्यक्रम के दौरान श्री एन एस परस्ते,श्री पी पी लाठिया,श्री ए के पन्ना,श्री देवेंद्र जायसवाल श्री आर के श्रीवास्तव, श्री एन आर जायसवाल, एम के यादव,पी के जायसवाल, गंगा गुप्ता,मनीष कश्यप,नंदिनी गर्ग,सुषमा उपाध्याय,शिव यादव,अनुराग श्रीवास,मुकेश यादव,धनेश्वरी भास्कर,सहित अनेक विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।