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ग्राम पंचायत दारसागर में कुपोषित हो चुकी आंगनबाड़ी भवन, लगातार मांग के बाद नहीं हो रही भवन की मांग की पूरी

मनमोहन सिंह राजपूत है@खैरा….. जिले के राजनीतिक खेला में अपनी विशेष पहचान बनाने वाली कोटा विधानसभा में बच्चों को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास तथा स्वास्थ्य व पोषण की स्थिति में सुधार लाने, कुपोषण से बचाने के साथ खेल खेल में शिक्षा की नींव मजबूत करने संचालित आंगनबाड़ी केंद्र बदहाली का शिकार हो चुकी है।भवन की मांग करते साल दर साल का समय बीत जाने के बाद भी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा भवन निर्माण की स्वीकृति नहीं होना ग्राम पंचायत के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है।


“अंधा क्या चाहे,दो आंखें” लेकिन यह भी ग्राम पंचायत दारसागर को नसीब नहीं हो रहा है। ग्राम पंचायत दारसागर द्वारा आश्रित ग्राम कुपाबांधा के लिए विगत 3 साल से आंगनबाड़ी भवन की मांग की जा रही है। मांग अनुरूप अभी तक शासन स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।जिससे ग्रामीण इस समस्या दूर हो सके।आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गर्भवती, शिशुवती महिलाएं एवं 6 वर्ष आयु तक के बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति सुधार हेतु संचालित आंगनबाड़ी केंद्र की बुनियाद जर्जर अवस्था में पहुंचकर अब अपना अस्तित्व तलाश रही है।ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र कही उधार के भवन में तो कहीं किराए के भवन में संचालित करने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बेबस है।कुपोषित हो चुकी पुरानी भवन की जगह अब नये भवन के लिये पोषण आहार की नितांत आवश्यकता है।बहरहाल छोटे बच्चों को जर्जर भवन में किसी भी घटना की आशंका से सुरक्षित रखने किराए के घर में आंगनबाड़ी का संचालन तो किया जा रहा है। जिसके लिए ग्राम पंचायत को आंगनबाड़ी भवन निर्माण की राशि के लिए अभी और कब तक और इंतजार करना पड़ेगा यह सुनिश्चित नहीं है।



कोटा से लेकर रायपुर तक अपनी मांग को लेकर गये थे जनप्रतिनिधि……. ग्राम पंचायत द्वारा आंगनबाड़ी भवन की मांग के लिये कोटा,बिलासपुर से लेकर रायपुर पहुंच आवेदन पत्र के माध्यम से अपनी बात रखी गई। आवेदन पर जल्द स्वीकृति प्रदान करने का आश्वासन तो सभी जगह से मिला लेकिन जिस आंगनबाड़ी की दरकार है वह अभी तक नहीं मिल पाया है।शासन प्रशासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के विकास कार्यो मे हो रही अनदेखी को लेकर ग्रामीण सहित जनप्रतिनिधियों में असंतोष है।




नारायण सोनवानी सरपंच ग्रा.पं. दारसागर ….भवन पूरा जर्जर है, पढ़ाने में बहुत दिक्कत होती है। क्योंकि किराए के घर में आंगनबाड़ी तीन-चार साल से संचालित हो रहा है।भवन के लिए हमें शासन से कई बार मांग किया है खाली आश्वासन ही मिलता है। महिला बाल विकास मंत्री और परियोजना अधिकारी तो आवेदन दिया गया है।

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