
ठा. प्रेम सोमवंशी/कोटा – अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबद्ध शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में हिन्दी दिवस धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर विचार गोष्ठी, काव्यपाठ, आशुभाषण आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं एवं हिन्दी के उन्नयन एवं विकास का संकल्प लिया गया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी. एल. काशी ने अपने उदबोधन में बताया कि साहित्य एवं संस्कृति के लिहाज से हिन्दी विश्व की अत्यंत विपुल भाषा है. हिन्दी भाषा की समृद्धि में ही राष्ट्र की समृद्धि निहित है. उन्होंने हिन्दी के गौरवशाली अतीत पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी को एक सक्षम एवं समर्थ भाषा के रूप में रेखांकित करते हुए बताया कि हिन्दी को विशेष दर्जा दिलाने में महात्मा गाँधी, सुभाष चंद्र बोस, गोविंद दास, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त खुसरो, तुलसी, कबीर, सूर, मीरा, रसखान, जायसी और बिहारी का योगदान महत्वपूर्ण है. विशिष्ट अतिथि प्रो. किशोर मिंज ने बताया कि हिन्दी केवल हमारी भाषा ही नही पहचान भी है. सरकारी कामकाज में हिन्दी को प्राथमिकता देनी होगी तभी हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाया जा सकता है. राजनीतिशास्त्र विभाग के डॉ. जे. के. द्विवेदी ने बताया कि आज़ादी के बाद हिन्दी के उत्थान के लिए 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया था. पहला हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था.

कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने बताया कि देश की स्वतंत्रता और विकास में हिन्दी भाषा का अहम योगदान है. हिन्दी भाषा एक संपर्क भाषा है, जो हम लोगों को माला की तरह व आपस में जोड़ने का कार्य करती है. अंग्रेज़ी विभाग के प्रो. शांतनु घोष ने बदलते परिवेश में हिन्दी के महत्व पर अपना विचार व्यक्त किया. वाणिज्य विभाग की डॉ. नीलम त्रिवेदी ने अपनी कविता के माध्यम से हिन्दी की महत्ता बतलाई. स्वयंसेवक मुस्कान, भूपेंद्र, ज्योति, पायल, पूनम, श्रुति, अनिमेष एवं हेमंत ने भाषण के माध्यम से तथा गीता, आश्वी, भावना, मनीषा, ने कविता के माध्यम से हिन्दी दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए. इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.