
कोटा – विश्व जनकल्याणर्थ एवं सनातन संस्कृति धर्मानुरूप भक्तो की श्रद्धा भाव के प्रेमवश स्वामी शिवानंद जी महाराज छः दिवसी जगन्नाथ यात्रा 130 भक्तो के साथ पूर्ण किए ,यात्रा बेलगहना आश्रम से शुरुआत करते हुऐ,सर्वप्रथम स्वामी जी सभी भक्तो के साथ मां चंद्रहासिनी की दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किए, मां चंद्रहासिनी देवी बड़ी ही ममतामयी व करुणामयी है, जो हमेशा ही अपने भक्तो की पुकार सुनती है और उनकी मनोकामना पूरी करती है मां चंद्रहासिनी देवी की चरण स्पर्श करती हुई महानदी वही से गुजर रही है, यहां से आगे बड़ते हुऐ हीराकुंड बांध उड़ीसा पहुंचे जहां पर संसार का सबसे बड़ा व लंबा बांध देखने को मिला जो की महानदी में बना हुआ है,

यहां की विशाल काय बांध को देख कर मन प्रफुल्लित हो गया, यहां से आगे बड़ते हुऐ संबलपुर उड़ीसा गए जहां स्वामी शिवानंद जी महाराज के साथ सभी भक्त बड़ी ही भक्ति भाव के साथ मां समलेश्वरी देवी की दर्शन पूजन किए, मां समलेश्वरी देवी की महिमा पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है यहां पूरे वर्ष भक्तो की भीड़ लगी रहती है यहां मान्यता है कि माता रानी सभी भक्तो की पुकार सुनती है यहां भी महानदी मां समलेश्वरी देवी जी दर्शन करती हुई आगे की ओर प्रवाहित हो रही है,फिर यहां से आगे बड़ते हुऐ, जगन्नाथ पुरी पहुंचे जहां रात्रि विश्राम कर सुबह स्वामी शिवानंद जी महाराज को उडिसा प्रशासन ने सुरक्षा के बीच श्री जगन्नाथ भगवान जी का दर्शन कराये,एवं सेवा समिति के सभी भक्त दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किए, सेवा समिति के युवावर्गो के द्वारा स्वामी जी के समक्ष जगन्नाथ भगवान को साक्षी मानकर अपनी अपनी दुर्व्यसन का त्याग किया गया।

हिंदुओ की प्राचीन एवं पवित्र सात नगरियों में से एक पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर बसा हुआ है। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।जगन्नाथ मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है, यह वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव विश्व में प्रसिद्ध है। रथ यात्रा जो कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय को मनाया जाता है इसके बाद शाम को समुद्र दर्शन करने गए, वहां पर स्वामी जी ने फूल माला और श्रीफल से समुद्र जी को भेंट किया उसके बाद सभी भक्तो के साथ मिलकर समुद्र स्नान का लुत्फ उठाए, तीन घण्टे तक स्नान कर भरपूर आनंद लिए। यहां से आगे बड़ते हुऐ चिल्का झील गये, जो कि पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। चिल्का झील उड़ीसा राज्य में स्थित भारत की सबसे बड़ी तथा विश्व की दूसरी बड़ी झील है यहां हजारों लोग रोज घूमने जाते है स्वामी जी सभी भक्तो के साथ नाव की सवारी करते हुऐ, समुद्र किनारे गए,

नाव पर सवार होकर सभी भक्तो का मन प्रफुल्लित हो गया। बीच बीच में सेवा समिति के सभी युवा भक्तो के द्वारा भंडारे में प्रसाद बनाकर सभी को पान कराया गया । इस यात्रा की वापसी में चंद्रभागा का दर्शन कर कोणार्क सूर्य मंदिर को गए, जहां पर विशालकाय मंदिर और मंदिर में बनी कला कृतियां अपने आप में अदभुत है कोणार्क दो शब्दों को जोड़कर बनाया गया है इसमें कोड का अर्थ है कोना और अर्क का मतलब होता है सूर्य यह हिन्दू मंदिरो के लिए काफी प्रसिद्ध है मंदिर में स्थापित कोणार्क की मूर्ति के नाम पर ही शहर का नाम पड़ा है यह मंदिर हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य देवता के रथ में 12 जोड़ी पहिए मौजूद है। साथ ही सात घोड़े भी है जो रथ को खींच रहे हैं।

इस तरह यात्रा का अंतिम पड़ाव कोणार्क में संपन्न हुआ। जिसमे अनेक अंचल से लोरामी, बिचारपूर, बिलासपुर, धौराभाटा, कुरेली,कोरबा, दारसागर, पुड़ू, करिआम,कुरुवर,केंदा,बरर,बिल्हा,बरपाली, एवं अन्य अंचल से श्रद्धालु भक्त स्वामी जी के सानिध्य में यात्रा का लाभ लिए,
