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प्रदेश सरकार शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करते है लेकिन शिक्षा विभाग की खुली पोल दो कमरो में पांच कक्षाएं राजीव गांधी सेवा केंद्र में बच्चो को पढ़ाने के लिए हो रहे मजबूर

सुरेश कश्यप सलखा :– प्रदेश सरकार शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है। शिक्षा को बेहतर व सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है, लेकिन प्रदेश में अभी भी कई स्कूल ऐसे हैं जो खंडहर बन कर रह गए हैं। बिलासपुर जिला के विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत सलखा में  मौके से सामने आई तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे स्कूल की छत का प्लास्टर गिरी हुई पड़ी वही स्कूल के कमरों के भीतर भी पानी भर गया है,

बिल्हा विकास खंड के ग्राम पंचायत सलखा गांव में स्थित प्राथमिक पाठशाला में एक वर्ष  से ताला लटका हुआ है राजीव गांधी सेवा केंद्र भवन  एक किलोमीटर दूर बच्चे जाते हैं पढ़ने ग्राम पंचायत सलखा 13 अगस्त 2021 को प्रस्तावित कर दिए हैं। बच्चों के पढ़ने का राजीव गांधी सेवा केंद्र भवन जर्जर किसी भी समय धराशाई हो सकता है। गनीमत है कि इस वर्ष बरसात कम हुई नहीं तो विद्यालय का भवन अब तक में जमींदोज हो गया होता। खतरे की आशंका भांपकर बच्चों का पठन-पाठन के लिए राजीव गांधी सेवा केंद्र  भवन कक्ष में किया जा रहा है पढ़ाई  प्रधान पाठक प्रभारी बालकृष्ण उरैती ने बताया कि पिछले वर्ष से ही विद्यालय की छत टूट कर गिरने लगी थी।

दुर्घटना की आशंका को देखते हुए मैं इसकी सूचना जनपद पंचायत  बिल्हा  में मुखाग्र रूप से अवगत कराया था शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दो से तीन बार आवेदन दिया मगर अभी तक कोई संज्ञान में नहीं लिया गया  पांचों कक्ष के छात्र-छात्राओं को दो कमरे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। प्रभारी प्रधान पाठक ने बताया कि इसकी सूचना शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत कराया था विद्यालय खंडहर में तब्दील हो चुके  प्राथमिक विद्यालय सलखा के भवन की शिक्षा विभाग ने मरम्मत तो नहीं की, लेकिन स्कूल बंद कर उसमें पढ़ने वाले बच्चों को एक किलोमीटर दूर मिडिल स्कूल पास शिफ्ट करा दिया। बच्चों को रोज आने जाने में एक किलोमीटर  का सफर तय करना पड़ रहा है। पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी कम हो गई कुल अभी  61 छात्र छात्राएं पढ़ रहे है  शासन से धन न मिलने के कारण मरम्मत का काम नहीं हो पाया है।

पिछले वर्ष से ही भवन की छत और दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई थी। भवन के कमरों में पानी घुस गया है। अभिभावकों ने भवन की मरम्मत होने तक बच्चों को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट करने का आग्रह किया एक  साल से बच्चे एक किलोमीटर दूर के स्कूल में जाने के लिए  विवश हैं। ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारी सरकार व प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द या तो स्कूल की बिल्डिंग को कहीं और शिफ्ट किया जाए या फिर इसका कोई समाधान निकाला जाए।

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