
कोटा – खोंगसरा संकुल के अंतर्गत लठौरी, विकासखंड कोटा, जिला बिलासपुर — शैक्षणिक सत्र 2025–26 की शुरुआत जहां बच्चों के स्वागत, रंग-बिरंगे पोस्टरों और सीखने के उत्साह के साथ होनी चाहिए थी, वहीं प्राथमिक शाला लठौरी में दृश्य बिल्कुल विपरीत है। यहां अंशकालीन सफाई कर्मचारी के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से शाला की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है।

विद्यालय में 2 शिक्षक कार्यरत हैं और 40 बच्चे दर्ज हैं, जिनमें से कई बच्चे पहली बार विद्यालय आ रहे हैं। इस संक्रमण काल में जब बच्चों को स्नेह, सुरक्षा और स्वच्छता की सबसे अधिक ज़रूरत होती है, शाला गंदगी और अव्यवस्था से जूझ रही है।
इस विषम परिस्थिति में सहायक शिक्षक श्री संतोष बैगा ने स्वयं झाड़ू-पोंछा का कार्य संभाला है, ताकि बच्चों को बैठने और पढ़ने के लिए साफ-सुथरा वातावरण मिल सके। उनका कहना है:
> “सफाई कर्मी के अभाव में हमें स्वयं साफ-सफाई में समय लगाना पड़ता है, जिससे समय से पढ़ाई-लिखाई नहीं हो पाती।”
— संतोष बैगा, सहायक शिक्षक

इस गंभीर स्थिति की सूचना शाला प्रबंधन समिति, ग्रामवासियों और विभागीय अधिकारियों को दी गई है। सभी ने इस स्थिति को असहज और चिंताजनक बताया है।
बच्चों की पहली सीखने की जगह कैसी हो?
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार शर्मा ने विद्यालय की स्थिति को देखकर चिंता जताई और कहा:
> “नए सत्र की शुरुआत व्यवस्थित तरीके से होनी चाहिए। बच्चों का स्वागत, उनसे मित्रवत व्यवहार और शैक्षणिक माहौल जरूरी है। ये बच्चे पहली बार शाला आ रहे हैं, उन्हें सहजता से जोड़ना होगा। विभाग को त्वरित कदम उठाना चाहिए। सफाई कर्मी की वापसी जरूरी है।”
स्वागत और प्रेरणा के बजाय जब गंदगी और अव्यवस्था मिलती है, तो बच्चों की शिक्षा से पहले ही उनका भरोसा डगमगाने लगता है। यह केवल एक विद्यालय की समस्या नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली के लिए एक चेतावनी है।
क्या ज़रूरी है अब?
1. सफाई कर्मियों की समस्याओं का तत्काल निराकरण हो और वे काम पर लौटें।
2. तब तक स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
3. सभी शालाओं में सत्र आरंभ से पूर्व स्वच्छता और स्वागत की मानक प्रक्रिया लागू की जाए।
प्राथमिक शाला लठौरी में 2 शिक्षक अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। लेकिन जब शिक्षक को झाड़ू उठानी पड़े, तो यह केवल समर्पण की मिसाल नहीं, बल्कि प्रशासन के लिए एक सवाल भी है।
बच्चों को शिक्षा देना केवल किताब थमाने से नहीं होता, बल्कि एक ऐसा वातावरण देने से होता है जिसमें वे सुरक्षित, स्वच्छ और स्नेह से भरपूर माहौल में सीख सकें।
अब समय है कि सरकार और शिक्षा विभाग जागे और आवश्यक कदम उठाए।
