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ग्राम पंचायतों में त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची से नाराजगी, युवाओं ने की शिकायत

कोटा – आगामी त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के मद्देनज़र ग्राम पंचायत आमागोहन और खोंगसरा में मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस मुद्दे ने युवाओं और ग्रामीणों में नाराजगी पैदा कर दी है। कई पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं, जबकि कुछ मृत व्यक्तियों के नाम अब भी सूची में शामिल हैं।

मतदाता सूची में अनियमितता:
दिनांक 18 जनवरी 2025 को जारी अंतिम मतदाता सूची में कई ऐसे नाम हटा दिए गए, जिन्होंने पूर्व के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। शिकायतकर्ताओं में मनीष पांडेय, राजेश पांडेय, सोहित नामदेव और आरती नामदेव का नाम शामिल है। ये सभी मतदाता ऑनलाइन वोटर हेल्पलाइन पोर्टल के माध्यम से मतदाता सूची में पंजीकृत थे।

इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीट पर खोंगसरा पंचायत से सरपंच प्रत्याशी बलराम सिंह और उनकी पत्नी का नाम उनके मूल पंचायत से हटाकर अन्य पंचायत में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे वे अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ने में असमर्थ हो गए हैं।

मृत व्यक्तियों के नाम सूची में:
ग्राम पंचायत आमागोहन में ऐसे भी कई नाम सूची में पाए गए हैं, जिनकी मृत्यु दो साल से अधिक समय पहले हो चुकी है। यह स्थिति प्रशासनिक लापरवाही और मतदाता सूची की सत्यापन प्रक्रिया की कमजोरियों को उजागर करती है।

ग्रामीणों में नाराजगी और प्रशासन से शिकायत:
मतदाता सूची में इन त्रुटियों ने युवाओं और ग्रामीणों के बीच हर्ष और उत्साह को नाराजगी में बदल दिया है। नाराज ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर अनुविभागीय अधिकारी, कोटा, श्री दुबे को फोन पर शिकायत दर्ज कराई। वहीं, सरपंच प्रत्याशी बलराम सिंह ने इस मामले की लिखित शिकायत कलेक्टर बिलासपुर को दी है।

प्रशासन का आश्वासन:
शिकायत मिलने के बाद अनुविभागीय अधिकारी ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए यथासंभव मदद का आश्वासन दिया है। अधिकारियों ने त्रुटिपूर्ण नामांकन की जांच और सही नाम सूची में जोड़ने के लिए शीघ्र कार्रवाई करने का वादा किया है।

ग्रामीणों की मांग:
ग्रामीणों और युवाओं ने प्रशासन से चार प्रमुख मांगें रखी हैं:

1. हटाए गए पात्र मतदाताओं के नाम तुरंत सूची में शामिल किए जाएं।

2. मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएं।

3. मतदाता सूची में नाम स्थानांतरण संबंधी त्रुटियों की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए।

4. भविष्य में ऐसी त्रुटियों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।

विशेषज्ञों का कहना:
इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार शर्मा का कहना है कि “यह त्रुटियां न केवल चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करती हैं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन भी है। प्रशासन को जल्द ही इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए ताकि हर व्यक्ति अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके।”

निष्कर्ष:
मतदाता सूची की त्रुटियां लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति लोगों के विश्वास को कमजोर कर सकती हैं। प्रशासन द्वारा इस मुद्दे पर शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई करना अनिवार्य है, ताकि पंचायत चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सके। ग्रामीण अब प्रशासनिक कदमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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