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दस्तावेजों की कूटरचना कर मोटरसायकल बेचने के दो आरोपियों को पांच-पांच साल के सश्रम कारावास की सजा

पेंड्राः-
चोरी की मोटरसायकल को फर्जी तरीके से कागजात तैयार कर बेचने वाले दो आरोपियों के अलग अलग धाराओं के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पांच पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है।
  दरअसल पूरा मामला पेंड्रा थाना क्षेत्र का 3 मार्च 2023 का है जहां प्रार्थी सुधार सिंह ओलाडी को आने जाने के लिये पुरानी मोटरसायकल की जरूरत पड़ने पर सेखवा गांव के रहने वाले बजरंगी प्रजापति के संपर्क में आया जिसने बताया कि उसका भांजा दिनेश प्रजापति अपनी डीलक्स मोटरसायकल बेचना चाहता है जिसको दिखाने पर मोटरसायकल क्रमांक सीजी 10 ए 8023 को खोडरी के रहने वाले कैलाश के नाम से होना बतलाकर 38000 मंें प्रार्थी ने खरीद लिया। वहीं बजरंगी प्रजापति ने नाम ट्रांस्फर बाद में कराउंगा कहा तभी 23 मार्च 2023 को जांजगीर पुलिस आकर इस मोटरसायकल को चोरी की मोटरसायकल होना बतलायी और अपने साथ ले गयी। प्रार्थी की रिपोर्ट पर पेंड्रा थाना में अपराध दर्ज किया गया।
    विवेचना में पुलिस को पता चला कि आरोपी दिनेश प्रजापति चोरी के मोटरसायकल का फर्जी रजिस्ट्रेशन अपने कम्प्यूटर से तैयार करके अपने मामा बजरंगी प्रजापति से बिकवाता था। इस मामलें में फैसला सुनाते हुये मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पेंड्रारोड श्रीमती एकता अग्रवाल ने आरोपियों को दोषसिद्ध पाते हुये शासकीय कार्य से संबंधित दस्तावेज की कूटरचना करते हुये फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग में लाकर छल करने का दोषी माना और आरोपियों के इस अपराध को गंभीर प्रकिृति का अपराधा बतालते हुये पूरे समाज को विचलित करने वाला सामाजिक अपराध बतलाया और आरोपियों दिनेश प्रजापति एवं बजरंगी प्रजापति को भारतीय दंड संहिता की धारा 420/34 के आरोप में तीन वर्ष के सश्रम कारावास और 2 सौ रूपये के अर्थदंड, धारा 467/34 के आरोप में पांच वर्ष का सश्रम कारावास और 2 सौ रूपये अर्थदंड, धारा 468/34 के आरोप में तीन वर्ष के सश्रम कारावास और दो सौ रूपये के अर्थदंड और धारा 471/34 के आरोप में पांच पांच साल के सश्रम कारावास और दो सौ रूपये के अर्थदंड की सजा दोनो आरोपियों को सुनायी है अर्थदंड की अदायगी मे चूक होने पर एक एक माह की साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। सभी सजांए एक साथ भुगतनी होगी। इस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी संजीव राय ने की।

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