
ठा. प्रेम सोमवंशी (कोटा) भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छ.ग. और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबद्ध शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा के यूथ रेडक्रॉस सोसाइटी और राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वाधान में सिकलसेल एनीमिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए महाविद्यालय परिसर में बी.एम.ओ. निखिलेश गुप्ता एवं प्राचार्य प्रो. बी. एल. काशी के निर्देशन में निःशुल्क विशेष जांच शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में कुल 123 विद्यार्थियों के रक्त की जाँच की गई जिसमें 2 विद्यार्थियों का सिकलसेल एनीमिया का परिणाम पॉजिटिव पाया गया.

महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक प्रो. बी. एल. काशी ने बताया कि सिकल सेल, एनीमिया एक अनुवांशिक रोग है, जब तक खून की जांच न कराई जाए, तब तक इस रोग की जानकारी नहीं मिलती. सिकल सेल से बचाव, इलाज और जागरूकता के प्रयासों से ही इसे बढ़ने से रोका जा सकता है. लैब तकनीशियन दिनेश मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि सिकल सेल एनीमिया रक्त विकार है. यह धमनियों में अवरोध उत्पन्न करता है, जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन एवं खून की कमी होने लगती है तथा अन्य जटिलताएं जैसे फेफड़ों में संक्रमण, एनीमिया, गुर्दे और यकृत की विफलता, स्ट्रोक आदि के कारण रूग्णता और मृत्यु की सम्भावना होती है. रेडक्रॉस सोसाइटी प्रभारी डॉ. संजू पाण्डेय ने बताया कि लाल रक्त कोशिकाएं जो सामान्य रूप से आकार में गोल तथा लचीली होती हैं यह गुण परिवर्तित कर अर्ध गोलाकार एवं सख्त हो जाती हैं जिसे सिकल सेल कहा जाता है. राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने बताया कि सिकल सेल के रोगी दो प्रकार के होते हैं, सिकल सेल वाहक एवं गंभीर लक्षण वाले सिकल सेल रोगी. सिकल सेल वाहक में गंभीर लक्षण नहीं होते किन्तु यह एक असामान्य जीन को अगली पीढ़ी में संचारित करता है. विवाह करने वाले दोनों व्यक्तियों में सिकल वाहक अथवा सिकल रोग नहीं होना चाहिए. जब किसी भी व्यक्ति को यह समस्याएँ होने लगें तो उसे रक्त की सिकल सेल एनीमिया के लिए जांच अवश्य करानी चाहिए. इस शिविर को सफल बनाने में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों की सक्रिय भूमिका रही।