
ठा. प्रेम सोमवंशी (कोटा) अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबद्ध शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई गई तथा स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन एवं राष्ट्र के विकास में युवाओं का योगदान विषय पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई. इस प्रतियोगिता में नितेश कौशिक ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. अंजली गुप्ता ने द्वितीय स्थान और मोहन वैष्णव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. इस अवसर पर सभी सहभागियों ने स्वामी विवेकानंद के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया और उत्कृष्ट स्वयंसेवकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ अध्यापक प्रो ए. के. पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में बताया कि विवेक और आनंद का सम्मिश्रण हैं. युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद ने समाजसेवा का संदेश दिया है, राष्ट्रप्रेम को परिभाषित किया है, अपने ज्ञान और संस्कारों से भारत का नाम विदेश में भी रोशन किया है. आज भी उनका व्यक्तित्व विश्व पटल पर चमचमा रहा है. स्वामी विवेकानंद का जीवन अनुकरणीय है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक प्रो. बी. एल. काशी ने स्वामी विवेकानंद को नमन करते हुए बताया कि युवा किसी भी राष्ट्र के विकास का आईना होते हैं. युवाओं में नदी के समान विध्वंसात्मक और रचनात्मक दोनों शक्तियां हैं. युवाओं को स्वामी जी के आदर्शों पर चलते हुए और अपनी रचनात्मक शक्ति का प्रयोग करते हुए देश के विकास के लिए सृजनात्मक कार्य करने चाहिए. कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने बताया कि स्वामी जी युवाओं के पथ प्रदर्शक, महान विचारक, दार्शनिक, भारत की सांस्कृतिक अवधारणा का सारे विश्व में डंका बजाने वाले योगी थे. युवाओं को उनके जीवन से पवित्र चिंतन, निष्काम सेवा, संस्कार, समर्पण एवं त्याग की भावना की सीख लेनी चाहिए।

इस अवसर पर स्वयंसेवक रनीश खाण्डेय और अभय मरकाम ने स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन और सामाजिक योगदान की जानकारी प्रदान की. कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीलम त्रिवेदी ने किया. इस कार्यक्रम में आई.क्यू.ए. सी. प्रभारी डॉ. सपना पवार, यूथ रेडक्रॉस सोसायटी प्रभारी डॉ. संजू पाण्डेय सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकों, कर्मचारियों और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों की सक्रिय सहभागिता रही।
