
ठा. प्रेम सोमवंशी (कोटा) पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मान्यता है कि इंद्र का घमंड चूर करने और ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठा लिया था और हजारों जीव-जतुंओं और मनुष्यों की रक्षा की थी।

भगवान कृष्ण ने देवराज के घमंड को तोड़ कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी. उसी दिन से दिन से ही गोवर्धन पूजा का आरंभ हुआ।जिसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं. इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा करते हैं।अन्नकूटअन्नकूट पर्व पर घर में तरह-तरह के पकवान तैयर किए जाते हैं जिनका भोग भगवान श्री कृष्ण को लगाया जाता है. इस दिन बनने वाले अन्नकूट में कई तरह की सब्जियां, कढ़ी-चावल, खीर, मिठाईयां, रबड़ी, पेड़े, पुवा, मक्खन, मिश्री, पूड़ी इत्यादि व्यंजन बनाए जाते हैं.यह सभी अन्नकूट कहलाते हैं इन सभी व्यंजनों के तैयार होने के बाद भगवान कृष्ण को इसका भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।

गोवर्धन पूजा का बड़ा ही महत्त्व होता है क्योंकि इस दिन विशेष तौर पर गौ माता का पूजन किया जाता है. अलग – अलग जगहों में इस पूजा की कई मान्यताएं और भी हैं जैसे कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है. लेकिन मूल रुप से इस दिन गौ माता का पूजन अर्चन किया जाता है।

गोवर्धन पूजन में यजमान सीमा यादव अनिल यादव एवम श्वेता यादव रामू यादव प्रमुख रूप से बैठे। जिसमे आचार्य पंडित अश्वनी दुबे जी के द्वारा संपूर्ण विधिविधान एवम कथा के साथ संपन्न हुआ।
