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सनातन धर्म के श्रेष्ठता बनाए रखने वाराणसी के कलाकारों द्वारा किया जा रहा है 9 दिवसीय श्री राम कथा का मंचन

मनमोहन सिंह राजपूत (खैरा).…. मनुष्य जीवन में सनातन धर्म की श्रेष्ठता को बनाए रखने के साथ पवित्र भावनाओं का अनवरत संचार करने के उद्देश्य से श्री राम कथा प्रचारक वाराणसी के कलाकारों द्वारा 9 दिवसीय श्रीराम कथा रामलीला महोत्सव का ग्राम पंचायत खैरा में शुभारंभ किया गया। जहां श्रीराम जन्म,ताड़का मारीच व सीता स्वयंवर का मंचन किया गया।


दशरथ पुत्रेष्ठी यज्ञ के साथ रामलीला का शुभारंभ किया गया। रात 8 बजे से 11 बजे तक मंचन हो रही रामलीला को देखने बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हो रहे हैं। श्री राम जन्म लीला में भगवान श्री हरि को चतुर्भुज रूप में देखते ही लीला प्रांगण जयकारों से गूंज उठा। चतुर्भुज रूप का ग्रामीण भक्तों द्वारा आरती की सेज सजाकर सुख समृद्धि और शांति की कामना के साथ पूजा अर्चना किया।लीला मंडली द्वारा हाथ में पीला चावल लेकर ग्राम के सभी घरों में जाकर सीता राम की विवाह मंचन का साक्षी बनने घर घर जाकर आमंत्रण दिया गया।बुधवार की रात सीता स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र के साथ जा रहे भगवान श्री राम ने मिथिला राज्य में प्रवेश करने के पहले महर्षि गौतम के श्राप से पत्थर रुपी अहिल्या का उद्धार किया।भगवान राम व सीता का मिलन पुष्पा वाटिका में हुआ।राजा जनक के दरबार में आयोजित सीता स्वयंवर में अनेक देशों के राजा आए हुए थे।

सभी ने एक-एक कर धनुष को तोड़ने पूरा प्रयास किया।लेकिन कोई भी राजा अपनी बाहुबल से शिव धनुष को हिला तक नहीं सका। सभी राजाओं के थक हार जाने के बाद गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर प्रभु श्री राम ने धनुष का खंडन कर उसे तोड़ दिया। धनुष के टूटते ही पूरा प्रांगण खुशी से झूम उठा। धनुष्य टुकड़े को पृथ्वी पर पड़ा देख भगवान परशुराम क्रोध राजा जनक से पूछने लगे बता धनुष किसने तोड़ा नहीं तो तेरा राज्य जहां तक है पृथ्वी से उल्टा कर दूंगा। क्रोधित परशुराम और लक्ष्मण के संवाद के मध्य भगवान श्री राम स्वयं को उनका दास बतलाते हुए भगवान परशुराम को शांत करवाया। जिसके बाद माता सीता ने भगवान श्री राम वरमाला पहनाया।

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