
मनमोहन सिंह राजपूत@ खैरा….प्राचीन काल से ही विद्यार्थी की जीवन में गुरु का स्थान सर्वोच्च स्तर पर रहा है। शिक्षक विद्यार्थी के जीवन का वह व्यक्ति होता है,जो उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ जीवन में विकास की प्रारंभिक अवस्था से परिपक्व होने तक विद्यार्थी की भविष्य निर्धारण होने तक मुख्य भूमिका निभाता है।लेकिन समय के बदलते चक्र के साथ शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से विमुख होकर अब विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिसे सुधारने शासन-प्रशासन नाकाम साबित हो रही है।

मामला कोटा विकासखंड अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कसई बहरा का है।जहां पूरे दिन लटकता हुआ ताला शिक्षा के अधिकार का हनन के साथ अशिक्षित हो रहे विद्यार्थियों के भविष्य का गवाह बना हुआ है।पूर्व माध्यमिक शाला में ग्रामीण अंचल के 52 विद्यार्थी पढ़ाई करने अपना दाखिला करवाया हैं।जहां एकमात्र शिक्षक शंकर लाल कैवर्त पदस्थ है।कभी शिक्षक की कमी होने से परेशान विद्यार्थी अब तो शिक्षा से ही पूरी तरह विमुख हो गये हैं।शिक्षा के प्रति शासन-प्रशासन की व्यवस्था का इससे अच्छा प्रमाण और कहां मिलेगा।शिक्षा व्यवस्था ऐसी जहां सोमवार से शुक्रवार तक स्कूल बंद रहता है।5 दिनों तक घर बैठे शिक्षक विद्यार्थियों अशिक्षित भविष्य की गाथा लिखने के साथ मध्यान भोजन की भी व्यवस्था संचालित करते हैं।सप्ताह में केवल 1 दिन ही शनिवार को स्कूल का ताला खोल कर पढ़ाई होती है। बावजूद इसके उक्त शिक्षक पर कार्यवाही करने की वजह बजाएं उन्हें अभय दान किया जा रहा है।इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था किस स्तर पर पहुंची गई है।क्षेत्र में शिक्षकों की कमी के साथ जर्जर स्कूल भवन का होना विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में निवासरत बच्चों को अच्छी शिक्षा लेने का अधिकार नहीं है।बार-बार शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होना क्षेत्र के लोगों के लिए अभिशाप बनती जा रही।
2 माह से लगातार हो रही हैं शिकायत …. विगत 2 माह से ग्रामीणों लगातार शिकायत कर खंड शिक्षा अधिकारी से नियमित शैक्षिक संस्थान खुलने के साथ शिक्षक व्वस्था पूर्ण करने गुहार लगा रहे हैं। ताकि बंद पड़ी शिक्षा व्यवस्था में सुधार आ जाये। 2 माह बाद भी पर्याप्त शिक्षकों की पूर्ति करना तो दूर नियमित स्कूल का संचालन प्रारंभ नहीं हो पाया है।बंद पड़े स्कूल से अवगत होने के बाद भी शिक्षक पर अब तक मेहरबान होना कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
कहां जा रहा है मध्यान भोजन का राशन ….. स्कूल बंद रहने से मध्यान भोजन भी बंद पड़ा हुआ है। बगैर स्कूल खोलें विद्यार्थियों को मध्यान भोजन की सुविधा देना संभव नहीं है।जब विद्यार्थियों को खाने की सुविधा मिल ही नहीं रही है, तो उन्हें मिलने वाले चावल दाल पापड़ सब्जी जैसी राशन सामग्री कहां है।एक माह में केवल 6 से 8 दिन मध्यान भोजन बनाकर बच्चों को खिला रहे हैं।माह के बाकी दिनों का राशन सामग्री क्या सुरक्षित है या फिर उसे भी बंदरबांट कर लिया गया है।यह भी जांच का विषय है।
बाईट…
अजय कुमार पैकरा सरपंच– 2 माह पहले गांव वाले को पिकअप में भरकर डियो ऑफिस ले गया था। शिक्षक व्यवस्था करेंगे बोले थे जो आज तक नहीं हुआ। 15 दिन से मध्यान भोजन नहीं बन रहा है।
उन्चास कुमार पैकरा विद्यार्थी … बुधवार और शनिवार को शिक्षक आते हैं। हफ्ते में एक बार मध्यान भोजन बनता है।
विजय टांडे बीईओ कोटा …. शिक्षक की कमी है ब्लॉक में जिसकी पूर्ति के लिए जिला स्तर पर मांग किया गया है। निकट भविष्य में शिक्षक प्रमोशन होना है जिसके बाद शिक्षक देने की बात कही गई है।अपने स्तर पर भरपूर प्रयास किया मैंने। एक शिक्षक पदस्थ है वह भी कसई बहरा में रहना नहीं चाहता। रिग रिगा से एक शिक्षक भेजा गया था लेकिन ग्रामीणो ने भी उसे जाने नहीं दिया। पदस्थ शिक्षक को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है।