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शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला उपका के विद्यार्थियों का भविष्य संवारने ने शिक्षा विभाग नहीं ले रहा रुचि, एकल शिक्षक के साथ एक ही कमरे में हो रहा है स्कूल का संचालन

मनमोहन सिंह राजपूत @खैरा —– आधुनिकता कि इस समय में भी सरकारी स्कूलों की हालात अच्छी नहीं है।एक स्कूल में एक ही शिक्षक की नारा के साथ शिक्षा विभाग छात्र-छात्राओं की भविष्य को अंधकार की ओर धकेल रही है।वहीं पढ़ाई की उच्च गुणवत्ता व्यवस्था का प्राथमिकी रुप से निराकरण नहीं होना शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।


मामला कोटा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत उपका स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला उपका का है। जहां शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य संवारने विद्यार्थी तो है,लेकिन उन्हें सभ्य और शिक्षित कर बेहतर भविष्य की नींव का संचारण कराने ना तो शिक्षक है और ना ही पाठशाला। शिक्षा व्यवस्था बदहाल होने से विद्यार्थियों के भविष्य पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। वर्षों पहले निर्माण की गई स्कूल भी अब दम तोड़ चुकी है।जहां 3 वर्ष पहले ही जर्जर हो चुकी भवन से गिरते छप्पर के बीच स्कूल का संचालन बंद कर दिया गया है।ताकि विद्यार्थियों को सही व सुरक्षित तरीके से शिक्षा मिल सके।ऐसा नहीं है कि भवन जर्जर होने के बाद ग्रामीणों द्वारा शिक्षा विभाग से स्कूल की मांग नहीं की गई हो।ग्रामीणों द्वारा शिक्षक की कमी से जूझ रहे विद्यार्थियों के बिगड़ते भविष्य को अंधकार से उजाले की ओर लाने निरंतर शिक्षक के साथ नवीन स्कूल की मांग कर रहे हैं।बावजूद इसके शासन और प्रशासन स्तर पर शिक्षा के महत्व को अनदेखा करते हुए आज तक नये विद्यालय भवन की सुविधा प्रदान करना तो दूर पर्याप्त शिक्षक की व्यवस्था भी नहीं हो सकीं है।

बिन गुरु के कैसे होगा ज्ञान पूरा ……. सर्वश्रेष्ठ धन शिक्षा के लिए बिना गुरु के ज्ञान की कल्पना करना संभव नहीं है। बावजूद इसके कक्षा 6वीं,7वीं और 8वीं में अध्यनरत 56 विद्यार्थियो के लिए केवल एक ही शिक्षक की पदस्थापना की गई है। एक शिक्षक होने से एक समय में केवल एक ही क्लास के विद्यार्थियों को शिक्षा मिल सकती है। साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उक्त शिक्षक सभी विषयों को पढ़ाने में कुशल हैं।

एक ही कमरे में पूरे स्कूल का हो रहा संचालन…… शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला उपका स्कूल खस्ताहाल व जर्जर होने के बाद विद्यार्थियों को अनवरत शिक्षा मिल सके इसके लिए ग्राम पंचायत व ग्रामीणों द्वारा पंचायत भवन में स्कूल संचालन करने सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। जहां 3 कक्षा की छात्र-छात्राएं एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करने मजबूर है।

पढ़ते हैं लेकिन समझ नहीं आता ….
जयप्रकाश कक्षा आठवीं विद्यार्थी……. स्कूल का छप्पर प्रतिदिन गिरता है और बारिश में छत से पानी टपकता है। कमरे के अंदर छठवीं सातवीं और आठवीं के विद्यार्थी एक एक लाइन बनाकर बैठते हैं। स्कूल में एक शिक्षक है और पढ़ाई नहीं होती है। अपने से पढ़ते हैं समझ में नहीं आता।

शिक्षकों की कमी के लिए सरकार है जिम्मेदार ….
डीके कौशिक जिला शिक्षा अधिकारी…. शिक्षकों की व्यवस्था करना तो सरकार के हाथ में है।पदोन्नति प्रक्रिया भी अभी कोर्ट में फैसला आने के बाद शिक्षकों की कमी दूर होगी।फिलहाल आसपास के स्कूल से शिक्षक की व्यवस्था देखते हैं।

समस्या के लिये अधिकारियों से की जाएगी बात ….  संदीप शुक्ला मंडी अध्यक्ष —– उपका स्कूल में जर्जर भवन और शिक्षकों की कमी का मामला संज्ञान में आया है।उच्च अधिकारियों से बात कर समस्या का निराकरण करने प्रयास किया जाएगा।

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