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दिव्यांग बच्चों के लिए फिजियो एवं स्पीच थैरैपी के विशेष सेशन, बच्चों को मिल रहा नया जीवन
कलेक्टर की इस पहल पर 100 बच्चों को मिली थेरैपी, अभिभावकों से अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को लाभ दिलाने की अपील

शैलेश गुप्ता / कोरिया बैकुंठपुर ……. कलेक्टर  विनय कुमार लंगेह के मार्गदर्शन में समग्र शिक्षा अन्तर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को उनकी दिव्यांगता अनुसार फिजियो एवं स्पीच थैरैपी प्रदाय किया जा रहा है। थैरेपी हेतु जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा बैकुंठपुर में फिजियो थैरेपिस्ट डॉ. शीला यादव एवं स्पीच थैरैपिस्ट श्रीमती भावना पाली की नियुक्ति की गई है। जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा ने बताया कि जिले के सभी विकासखण्डों में प्रत्येक माह निर्धारित तिथि अनुसार विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को विकासखण्ड स्त्रोत संसाधन केन्द्रों थैरैपिस्टों के द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण करते हुए आवश्यक थैरैपी दिया जा रहा है।



100 बच्चों का हुआ ईलाज, कलेक्टर ने अभिभावकों से अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को लाभ दिलाने की अपील की
वर्तमान में कुल 60 दिव्यांग बच्चों को फिजियो एवं 40 बच्चों को स्पीच थैरैपी का लाभ दिया गया है। कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक श्री लंगेह ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा है कि अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को थैरैपी का लाभ दिलाएं।
समग्र शिक्षा अंतर्गत शिक्षा की मुख्य धारा में बच्चों को बनाये रखने में थेरैपी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिससे पालकों को भी राहत मिली है। पालक अब नियमित रूप से अपने बच्चों को थेरैपी कराने हेतु केंद्र में ला रहे हैं।

क्या है फिजियोथेरेपी और स्पीचथैरेपी ?-
स्पीच थैरेपी ज्यादातर स्पष्ट शब्दों को बनाने में असमर्थता से संबंधित होते हैं। हकलाना या स्टैमरिंग और लिस्पिंग सबसे आम स्पीच विकार हैं। स्पीच-लैंग्वेज पैथोलोजिस्ट द्वारा बच्चों की आवश्यकतानुसार कौन सा तरीका उपयोगी होगा इसका निर्धारण कर बच्चों की कमजोरियों को दूर करने कई तरीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें, जीभ और फेफड़ों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करवाना जैसे कि – सीटी बजाना आदि और भाषा में सुधार के लिए शब्दों को दुहराने वाले खेल या बातचीत आदि को शामिल किया जाता है।
इसी प्रकार फिजियोथेरेपी में एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट के द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। इस थेरेपी का उद्देश्य रोग के कारण को जानकर उस रोग से रोगी को मुक्त करना होता है।

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