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रतनपुर में यादव समाज द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गोवर्धन पूजा सम्पन्न

कोटा – माँ महामाया की नगरी में रतनपुर में यादव समाज कल्याण समिति के द्वारा गोवर्धन पूजा का कार्यक्रम बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जिसमें क्षेत्र वासियों के सुख समृद्धि के लिए कामना किया गया l उक्त कार्यक्रम यादव समाज प्रांगण राधा कृष्ण मंदिर के पास आयोजित हुआ l

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष के पहले दिन पड़ता है, जबकि विक्रम संवत कैलेंडर में यह पहला दिन होता है।

यह दिवाली या दीपावली, जो प्रकाश का त्यौहार है के अगले दिन मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है l

*गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा*

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश से ग्रामीणों को आश्रय देने की पौराणिक कथा का उत्सव है। यह त्योहार आज भी भगवान कृष्ण के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।

यह संकट के समय प्रभु की शरण लेने और भगवान कृष्ण द्वारा अपने भक्तों की सहायता करने का प्रतीक है। यह कहानी प्रकृति की शक्तियों का सम्मान करने और यह हमेशा याद रखने की चेतावनी भी देती है कि मनुष्य होने के नाते हम प्रकृति माँ पर निर्भर हैं और हमें उनके द्वारा हमें दिए गए सभी आशीर्वादों के लिए कृतज्ञ होना चाहिए।

     गोवर्धन पूजा अनुष्ठान
हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदायों के अनुसार गोवर्धन पूजा से जुड़ी रस्में अलग-अलग हैं। कुछ राज्यों में, इस विशेष दिन अग्नि, इंद्र और वरुण, जो अग्नि, वज्र और समुद्र के देवता हैं की भी पूजा की जाती है।

इस दिन गोवर्धन पर्वत के आकार का गोबर का ढेर बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। जल, धूप, फल और अन्य नैवेद्य अर्पित करके पूजा की जाती है। यह पूजा सुबह जल्दी या देर शाम की जाती है।
इस दिन कृषि में लोगों की मदद करने वाले बैल और गाय जैसे पशुओं का सम्मान किया जाता है।


इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा स्वयं भगवान के रूप में की जाती है। गोबर से एक प्रतिमा बनाकर उसे ज़मीन पर स्थापित किया जाता है। उस पर मिट्टी का एक दीपक रखा जाता है और उस पर चीनी, शहद, दही, दूध और गंगाजल जैसी कई आहुतियाँ दी जाती हैं।
इस दिन कुशल कारीगरों के देवता भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाती है। उद्योगों में मशीनों और कारखानों में मशीनों के लिए प्रसाद और पूजा की जाती है।


देश भर के मंदिरों में ‘भंडारे’  भोज का आयोजन किया जाता है और अनुयायियों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
गोवर्धन पूजा का एक महत्वपूर्ण पहलू गोवर्धन पर्वत का प्रतीक माने जाने वाले गोबर से बने पर्वत की परिक्रमा करना है। यह परिक्रमा साथ-साथ गोवर्धन भगवान की जय-जयकार करके की जाती है। आवश्यक परिक्रमा पूरी होने के बाद, ज़मीन पर जौ बोए जाते हैं।
इस दिन अन्नकूट भी तैयार किया जाता है, जो भगवान कृष्ण को अर्पित करने के लिए विभिन्न अनाजों का मिश्रण होता है।
ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित है। इसी कारण, लाखों भक्त गोवर्धन पर्वत पर आते हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने तथा अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए पर्वत की परिक्रमा करते हैं॥
गोवर्धन पूजा में सम्मिलित
मनबोध यादव, शिव यादव, बसंत यादव, डी सी यादव, कन्हैया यादव,
राजा यादव,देवनारायण यादव, संतोष यादव, राजेश यादव,मनोज यादव, सुनीता यादव,शीलू यादव,
चमेली यादव, पूनम यादव,
सपना यादव, ईश्वरी  यादव,
सकुन गुप्ता,रामेश्वरी जैसवाल,
किरण साहू, सरिता कश्यप,
राधा सोनी यादव समाज एवं नगर के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में उपस्थित रहेl
पूजा-अर्चना पंडित अश्विनी दुबे जी के द्वारा संपूर्ण विधि विधान से किया गया l

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